Friday, March 4, 2011

उफ.यह तन्हाई

ಚಿತ್ರ: ಪ್ರಕಾಶ್ ಹೆಗ್ಗಡೆ

बेखरारी के लम्हे और सह न पाऊं यह तन्हाई
आह्ट का कर रहा दिल इंतजार बार बार
गर्म सांसॊं कॊ फिर से परखने का मन
मचल रहा दिल - पर, उफ. यह तन्हाई
 
वादे तो करते हैं, और दिल जलाने वाले
बातें तो करते हैं, और वादा न निभाने वाले
इंतजार और बेताबी हॊती क्या चीज है
भला वह क्या जाने, वादा करके भुलाने वाले

बेचैन हॊ उठी है झील भी तिल मिला कर
उठा रही है हलकी सी लहरॆं गेहराई पाकर
आ भी जा मेरे दिलबर और न सता यॊं
दर्द कॊ पहचान ने वाले बेदर्दि इस कदर क्यॊं?